फिशर इन एनो (Fissure in Ano): दर्दनाक गुदा फटने का इलाज और देखभाल
Fissure treatment
Dr. Arun Singh
4/17/20251 min read
Fissure in Ano या गुदा विदर एक आम गुदा रोग है जिसमें गुदा की त्वचा पर एक छोटा सा चीरा (tear) बन जाता है। यह चीरा मल त्याग के समय अत्यधिक दर्द और रक्तस्राव का कारण बनता है। यदि समय पर इलाज न किया जाए तो यह रोग पुराना (chronic) बन सकता है और जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है।
फिशर के लक्षण:
मल त्याग के समय तेज़ जलन और चुभन
गुदा से हल्का रक्तस्राव (विशेषकर लाल रंग का ताज़ा खून)
मल त्याग के बाद घंटों तक जलन या दर्द
गुदा के पास सूजन या छोटी गाँठ महसूस होना
कब्ज़ और मल त्याग में कठिनाई
फिशर के कारण:
कठोर या बड़ा मल (कब्ज)
बार-बार दस्त होना
अत्यधिक ज़ोर लगाना
प्रसव के बाद महिलाओं में
गुदा क्षेत्र में चोट या बार-बार खरोंच
फिशर का आयुर्वेदिक और औषधीय इलाज (Medical Management):
Bhardwaj Ayurveda द्वारा सुझाए गए प्रमुख आयुर्वेदिक विकल्प:
Ayurlock Tablet – गुदा क्षेत्र की सूजन कम करने में सहायक
Ayurflam Tablet – दर्द और जलन में राहत देने वाला
Ayurcid / Ayurzole Powder – पाचन को बेहतर कर कब्ज को जड़ से दूर करे
Ayurgole Powder – कोमल और प्रभावी आयुर्वेदिक रेचक
Proctocool Sitz Bath Suspension – Sitz Bath के लिए विशेष द्रव जो दर्द, सूजन और जलन में राहत देता है
Ayurheal Tablet – पुराने फिशर में सूजन कम कर घाव भरने में मदद करता है
फिशर का सर्जिकल और प्रोसीजरल इलाज (जब दवाएं न कारगर हों):
Lord’s Procedure और Anal Dilatation – गुदा मांसपेशियों को आराम देना
LIS (Lateral Internal Sphincterotomy) – गुदा की आंतरिक मांसपेशी को आंशिक रूप से काटकर दबाव कम करना (ओपन, क्लोज़ या लेज़र विधि से)
Laser LIS – कम दर्द, शीघ्र राहत और जल्दी वापसी
Botox Injection – मांसपेशियों को आराम देने के लिए
Ksharsutra Therapy – पुराने फिशर में उपयोगी
डाइट और जीवनशैली में बदलाव:
रेशेदार आहार (फल, सब्ज़ियाँ, सलाद)
पर्याप्त पानी पीना
मल त्याग में ज़ोर न लगाना
लंबे समय तक बैठने से बचना
मसालेदार भोजन से परहेज़
नियमित व्यायाम
निष्कर्ष:
फिशर इन एनो एक दर्दनाक लेकिन पूरी तरह से इलाज योग्य रोग है। यदि सही समय पर औषधीय और जीवनशैली संबंधी उपाय अपनाए जाएं तो अधिकांश मरीज सर्जरी के बिना ही ठीक हो सकते हैं।
Bhardwaj Hospital, Varanasi में हम फिशर के लिए आयुर्वेदिक, मॉडर्न और मिनिमली इनवेसिव विकल्प प्रदान करते हैं, ताकि मरीजों को स्थायी राहत मिल सके — वो भी बिना किसी बड़ी जटिलता के।